श्री सिद्धिदात्री दुर्गा
श्री राधामाधव युगल भगवान के गर्भगृह के वायव्य कोण में श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी प्रतिष्ठित हैं। यह आठ भुजाओं में शस्त्रादि धारण किये हुए तथा सिंह वाहन पर विराजमान है। यह देवी का ‘अष्टभुजा’ स्वरूप है। श्री अष्टभुजा रुपी दुर्गा के ऐसे विग्रह के दर्शन करने से शत्रुपीड़ा, व्याधि पीड़ा, संकट के भय का नाश होता है एवं श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी की अभय मुद्रा द्वारा भयभीत मनुष्य को अभय का वरदान मिलता है। देवी को मंगलवार एवं शनिवार को शतनाम या सहस्रनाम द्वारा लाल रंग का पुष्प अर्पण करने एवं नारियल अर्पण करने से मनोभिलाषा पूर्ण होती है एवं शत्रुओं का शमन होता है। आयु आरोग्यता प्राप्त होती है एवं संध्या काल में दीपदान करने से समस्त प्रकार का सुख भोग प्राप्त होता है। इस प्रकार एक वर्ष तक करने पर मनोकामना पूर्ण होती है। शास्त्रानुसार जो मनुष्य भयंकर शत्रुपीड़ा से ग्रसित हो, भूतप्रेत भय से ग्रसित हो, बुद्धि कुंण्ठित रहती हो, रोग से बारम्बार पीड़ा प्राप्त होती हो, जीवन में भारक ग्रह की पीड़ा हो, राहु-केतु शतिया मंगल की महादशा चलती हो, जीवन में इन ग्रहों की पीड़ा से ग्रसित हो, बारम्बार ज्वर की पीड़ा से ग्रसित हो, दुर्घटना की पीड़ा से ग्रसित हो, जेल, कारागार बन्धन के भय से ग्रसित हो, शत्रु द्वारा तंत्र अभिचार से ग्रसित हो, सन्तान सुख की कामना हो, पुरुष-स्त्री को विवाह में बाधा हो, अग्नि, जल, लौह धातु एवं सरकार द्वारा पीड़ा से ग्रसित होने पर श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी की विविध प्रकार से सहस्त्रार्चन/पूजा करने से समस्त उपद्रव का नाश होता है एवं पुण्यफल की प्राप्ति होती है। श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी सहस्रार्चन पूजा जो कि एक हजार नाम से लाल रंग के पुष्प अर्पण करके की जाती है। इस इस पूजा में देवी की षोडषोपचार पूजा तथा पाद्यम, अर्ध्यम, स्नान, वस्त्र-उपवस्त्र, उपवस्त्र, रोली-सिंदूर अक्षत, पुष्पमाला, धूप, दीप, इत्र नैवेध, फल, तम्बूल (पान सुपारी इलाइची लौंग नारियल अर्पण करके दुर्गा देवी के सहस्त्रनाम द्वारा लाल पुष्पों को अर्पण किया जाता है। मंगलवार एवं शनिवार को इस पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। प्रत्येक मंगलवार अथवा प्रत्येक शनिवार अथवा दोनों दिन एक वर्ष तक सहस्त्रार्चन करने से समस्त उपद्रव की शांति एवं देवी की प्रसन्नता से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
विशेष अभिलाषा की पूर्ति हेतु 101 दिन तक नाम गोत्र संकल्प करके श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी सहस्त्रार्चन करने से समस्त उपद्रव का नाश एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।