श्री राधामाधव देवस्थानम्

Shri Radha Madhav Devasthanam

सूचना:

पितरों हेतु श्राद्ध एवं पित्तृ विसर्जन २ अक्टूबर दिन बुधवार श्राद्ध एवं विसर्जन का उपयुक्त समय मध्याह्न काल शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ 3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार से होगा। मंदिर में श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी की पूजा हेतु कलश स्थापन दिन में 11:00 बजे से मध्याह्न 12:30 के मध्य होगा। मंदिर में शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति हवन प्रातः 10:00 बजे से 11:00 बजे के मध्य विजयादशमी दिन शनिवार को सम्पन्न होग। मंदिर में शारदीय नवरात्र पूजा की पूर्णाहुति हवन के उपरान्त विजया दशमी, दिन शनिवार को कन्या पूजन का आयोजन 12 बजे से होगा।
पितरों हेतु श्राद्ध एवं पित्तृ विसर्जन २ अक्टूबर दिन बुधवार श्राद्ध एवं विसर्जन का उपयुक्त समय मध्याह्न काल शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ 3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार से होगा। मंदिर में श्री सिद्धिदात्री दुर्गा देवी की पूजा हेतु कलश स्थापन दिन में 11:00 बजे से मध्याह्न 12:30 के मध्य होगा। मंदिर में शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति हवन प्रातः 10:00 बजे से 11:00 बजे के मध्य विजयादशमी दिन शनिवार को सम्पन्न होग। मंदिर में शारदीय नवरात्र पूजा की पूर्णाहुति हवन के उपरान्त विजया दशमी, दिन शनिवार को कन्या पूजन का आयोजन 12 बजे से होगा।

दानम्

श्री राधामाधव भगवान जी की प्रसन्नता हेतु मंदिर में दिये जाने वाला दान

श्री राधामाधव देवस्थानम् मंदिर की प्रतिष्ठा

मंदिर के बारे में

मंदिर परिसर में दिव्य विशाल पीपल वृक्ष है जो काफी प्राचीन समय से अपनी दिव्यता एवं चमत्कारिक गुणों के कारण विख्यात है। इस प्राचीन पीपल वृक्ष की ‘श्री लक्ष्मीनारायण पीपल’ के रूप में पूजा एवं सेवा की जाती है। वे भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं एवं रोग व्याधि से रक्षा प्रदान करते हैं। श्री राधामाधव भगवान का गर्भगृह मंदिर के मध्य भाग में स्थित है एवं उनके चारों दिशाओं में श्री सिद्धिविनायक गणपति, श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी, श्री सिद्धिदात्री दुर्गाजी एवं श्री माधवेश्वर महादेव लिंग रूप में प्रतिष्ठित हैं। इस प्रकार यह श्री राधामाधव पंचायतन के रूप में प्रतिष्ठित है। श्री राधामाधव का दिव्य विग्रह पूर्वाभिमुख हैं। मंदिर गर्भगृह के मुख्य द्वार पर श्री भगवान के वाहन गरूड़ जी का श्रीविग्रह एवं पीतल धातु की ध्वजा स्थापित है तथा गर्भगृह के शिखर कलश पर श्री सुदर्शन चक्र स्थापित है। श्री राधामाधव के दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य कोण) में श्री नागराज एवं श्री सर्पराज प्रतिष्ठित हैं एवं श्री राधामाधव विग्रह के ईशान भाग में नवग्रह मण्डल मंदिर स्थापित है। वहां पर सूर्यादि नवग्रह विग्रह अपने-अपने वाहन पर आरूढ होकर प्रतिष्ठित है।

फोटो गैलरी

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दान की गयी राशि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 G (2) (a) (iv) के अंतर्गत आयकर छूट के लिए मान्य

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