श्री माधवेश्वर महादेव
श्री राधामाधव युगल भगवान के ईशान कोण में नर्मदेश्वर लिंग के रूप में श्री माधवेश्वर महादेव प्रतिष्ठित है। यहाँ भगवान शंकर नंदी के साथ लिंग के रूप में विराजमान है। इस नर्मदेश्वर लिंग में प्राकृतिक रूप से लाल रंग का त्रिपुंड बना हुआ है जो इसकी दिव्यता को बताता है। भगवान शंकर के लिंग रूप के दर्शन मात्र से अक्ति एवं आयु, आरोग्य, लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से प्रति सोमवार दूध या गंगाजल से कद्राभिषेक करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
शास्त्रानुसार जो मनुष्य बारंवार शारीरिक, मानसिक कष्ट से पीडित हो, अपमृत्यु का भय हो, राहु-केतु, शनि या मंगल की महादशा से पीड़ित हो, बारंबार दुर्घटना से पीड़ित हो, धन की बारम्बार क्षति हो, दरिद्रता से पीडित हो, ग्रहां की पीड़ा से ग्रसित हो, विवाह, सन्तान सुख से वंचित हो, भूत-प्रेत बाधा का भय पनि हो, मारक ग्रहों की दशा चलती हो, गृह में जाना प्रकार से उपद्रव क्लेश की पीड़ा हो, बाहनादि दुर्घटना से चीड़ित हो, शत्रु, चोर, अमि, जल एवं सरकार से पीड़ित रहता हो, शत्रु द्वारा तंत्र अभिचार से पीड़ित हो, एवं महादेव की भक्ति की इच्छा करता हो तो उसे प्रत्येक माह के सोमवार को विशेष रूप से बिल्व पत्र से सहस्रार्थन पूजा करानी चाहिए अथवा दूध या गंगाजल से रुद्राभिषेक पूजन करने से समस्त ग्रह पीड़ा की शांति, अपमृत्यु अभ की समाप्ति, निरोगता एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
श्री माधवेश्वर महादेव जी कि एक हजार नाम से बिल्व पत्र’ अर्पण करके gसहस्रनाम पूजा की जाती है। इस पूजा में श्री महादेव जी को षोडषोपचार पूजा मथा पाचन, अर्धम, स्नान, वस्त्र-उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, भस्म, रोली, अक्षत, बिल्वपत्र पुष्पमाला, धूप, दीप, इत्र, नैवेध, फल नारियल, ताम्बूल (पान) सुपारी, इलाइची, लौंग अर्पण करके श्री शिव सहस्रनाम द्वारा बिल्व पत्र अर्पण किया जाता है। सोमवार को इस पूजा को कराने से विशेष फल प्राप्त होता है। विशेष अभिलाषा पूर्ति हेतु 101 दिन तक ग्राम गोत्र संकल्प करके श्री माधवेकर महादेव जी सरस्रार्चन पूजा करने से समस्त संकटों का नाश होता है एवं महादेव जी की प्रसन्नता से कार्य सिदिवपुण्य की प्राप्ति होती है।इसी प्रकार की श्री माधवेश्वर महादेव जी का दूध या गंगाजल से रुद्राभिषेक एक वर्ष तक विशेष रूप से सोमवार को करोने से समस्त अभिलाषा की पूर्ति होती है।सहस्रनाम पूजा की जाती है। इस पूजा में श्री महादेव जी को षोडषोपचार पूजा मथा पाचन, अर्धम, स्नान, वस्त्र-उपवस्त्र, यज्ञोपवीत, भस्म, रोली, अक्षत, बिल्वपत्र पुष्पमाला, धूप, दीप, इत्र, नैवेध, फल नारियल, ताम्बूल (पान) सुपारी, इलाइची, लौंग अर्पण करके श्री शिव सहस्रनाम द्वारा बिल्व पत्र अर्पण किया जाता है।
सोमवार को इस पूजा को कराने से विशेष फल प्राप्त होता है। विशेष अभिलाषा पूर्ति हेतु 101 दिन तक ग्राम गोत्र संकल्प करके श्री माधवेकरमहादेव जी सरस्रार्चन पूजा करने से समस्त संकटों का नाश होता है एवं महादेव जी की प्रसन्नता से कार्य सिदिवपुण्य की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार की श्री माधवेश्वर महादेव जी का दूध या गंगाजल से रुद्राभिषेक एक वर्ष तक विशेष रूप से सोमवार को करोने से समस्त अभिलाषा की पूर्ति होती है।