श्री सिद्धेश्वर हनुमान भगवान
मंदिर में श्री राधामाधव युगल भगवान के गर्भगृह से नैऋत्य कोण में श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी प्रतिष्ठित हैं। यह दो भुजाओं वाले पद्मासन मुद्रा में भक्तों को अभय मुद्रा से अभय प्रदान करते हैं एवं बाएं हाथ में गदा को कंधे पर धारण किये हुए हैं। अष्टसिद्धि एवं नवनिधि के स्वामी होकर यहां भी सिद्धेश्वर हनुमान के रूप में भक्तों को दर्शन द्वारा कार्य सिद्धि का वरदान देते है। श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी के दर्शन मात्र से संकट का नाश होता है इनके निमित्त दीपदान करने से तथा मंगलवार एवं शनिवार को विशेष रूप से एक हजार नामों से सिंदूर युक्त पुष्प अर्पण करने से मनोकामना पूर्ण होती है। समस्त संकटों का नाश होता है। शास्त्रानुसार जो मनुष्य शारीरिक, मानसिक पीड़ा से ग्रसित हो, बुद्धि बल की वृद्धि की इच्छा हो, भूत-प्रेत के भय से ग्रसित हो, शत्रु के षड्यन्त्र से पीड़ित हो, दीर्घकाल से मानसिक शारीरिक व्याधि से ग्रसित हो, बारम्बार दुर्घटना में पीड़ित रहता हो, आकस्मिक संकटों से ग्रसित हो, भूमि-भवन सुख प्राप्त करना चाहता हो एवं भगवान श्री राम जानकी की भक्ति चाहता हो, कोर्ट कचहरी मुकदमे से पीडित हो, जेल कारागार बन्धन के भय से ग्रसित हो, शत्रु द्वारा तंत्र अभिचार से ग्रसित हो, बारम्बार ज्वरादि शारीरिक पीड़ा से ग्रसित हो, सन्तान सुख की कामना हो, अग्नि, जल, लौह धातु एवं सरकार द्वारा पीडित हो तो श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी का सहस्त्रार्चन पूजा कराने से समस्त उपद्रव संकट का नाश होता है एवं पुण्यफल की प्राप्ति होती है। श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी की एक हजार नाम से सिंदूर युक्त लाल पुष्प का अर्पण करके सहस्रनाम पूजा की जाती है। इस पूजा में श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी की षोडषोपचार पूजा यथा पाघम, अर्ध्यम, स्नान, वस्त्र-उपवस्त्र, यज्ञोपवीत रोली, सिन्दूर, अक्षत, पुष्पमाला, धूप, दीप, इत्र, नैवेद्य, फल नारियल, ताम्बूल (पान) सुपारी, इलाइची, लौंग अर्पण करके श्री हनुमान जी के सहस्रनाम द्वारा सिन्दूर लाल पुष्प के साथ अर्पण किया जाता है। मंगलवार एवं शनिवार को इस पूजा को कराने से विशेष फल प्राप्त होता है।
विशेष अभिलाषा की पूर्ति हेतु 101 दिन तक नाम गोत्र संकल्प करके श्री सिद्धेश्वर हनुमान जी की सहस्रार्थन पूजा करने से समस्त संकटो का नाश होता है एवं हनुमान जी की प्रसन्नता से पुण्य की प्राप्ति एवं मनोभिलाषा पूर्ति होती है।