स्मृति प्रसंग
स्मृति प्रसंग
सन् 2010 में माधव पुरम नाम की एक आवासीय योजना बनाने का काम चल रहा था। जो कि इस मंदिर परिसर से 500 मीटर पहले स्थित है। उसी योजना के विकास कार्यों को देखने के लिए मैं मथुरेश श्रीवास्तव मई-जून 2010 के मध्य दोपहर 2 से 3 के आस-पास माधव पुरम आया हुआ था। तेज धूप होने के कारण मैं पूसू का पुरवा गाँव जाने वाली सड़क पर एक आम के पेड़ के नीचे खड़ा हो गया, उसी समय मुझे यह अनुभूति हुई कि जैसे वहाँ से बांसुरी की धुन सुनाई दे रही है। पास में ही देखने पर गायें घास चरती हुई दिखीं और अचानक एक आलौकिक एवं दिव्य अनुभूति हुई कि वहाँ श्री राधा माधव सूक्ष्म रूप में दर्शन देकर अन्तर्धान हो गये। यह अनुभूति होने पर मन प्रसन्नता व आनन्द से आह्लादित हो गया और उसी समय श्री राधा माधव के मंदिर बनाए जाने का विचार स्वतः मन में प्रस्फुटित होने लगा जो कि निरंतर मन में बना रहा। इसी दौरान कुछ दिनों के पश्चात् उसी स्थान के समीप गुरुजी (श्री लोकेन्द्र चतुर्वेदी जी) का आगमन हुआ। संयोगवश माधवपुरम में स्थित उसी आम के पेड़ से 20 मीटर उत्तर के तरफ सड़क किनारे ही हमारा बैठना हुआ जहाँ मुझे यह अनुभूति हुई थी। वार्ता के दौरान मैंने गुरूजी से उस दिन हुई अनुभूति के विषय में बताया और मंदिर बनाये जाने के सन्दर्भ में समीप ही स्थित माधवपुरम कॉलोनी के पार्क को दिखाया इस पर गुरुजी ने बताया कि, इस स्थान पर मंदिर का निर्माण नहीं होगा शीघ्र ही योजना का विस्तार होगा और मंदिर वहाँ बनेगा जहाँ पीपल का वृक्ष मिलेगा। लगभग एक वर्ष ही बीता होगा कि गुरूजी के कथनानुसार योजना का विस्तार हुआ और लौलाई ग्राम मे क्रय की गई भूमियों में से एक भूमि में संयोगवश यह दिव्य आलौकिक वृक्ष विराजमान था। इस सन्दर्भ में मैंने गुरुजी से क्रय की गयी भूमि में दिव्य स्वरूप पीपल वृक्ष के होने की जानकारी दी. इस पर गुरूजी ने कहा यह वही स्थान है जहाँ पर मंदिर का निर्माण होगा। मन्दिर की भूमि चिन्हित हो जाने के उपरान्त मेरे द्वारा सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों के संचालन हेतु दिनाँक 08.03.2013 को वसुप्रधा फाउन्डेशन ट्रस्ट की स्थापना की गई। तत्पश्चात् गुरुजी के द्वारा वर्तमान मंदिर परिसर का आकार, प्रकार, मंदिर वास्तु के साथ-साथ देवी-देवताओं के विग्रहों के स्वरूप का विवरण तैयार किया गया जो कि मंदिर निर्माण कार्य पूर्ण होने पर पूर्व निर्धारित आकार-प्रकार व चित्र के अनुरूप ही बना। इसी प्रकार मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित सभी देवी-देवताओं के विग्रहों का स्वरूप उनकी प्रतिमा गढ़े जाने के उपरान्त दैवीय कृपा होने से बिल्कुल वैसा ही था जैसा गुरूजी के द्वारा चित्र उपलब्ध कराया गया था। तत्पश्चात् श्री राधा-माधव भगवान व अन्य देवी-देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ 14 जून 2019, विक्रम संवत् 2076 ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की द्वादशी दिन शुकवार सर्वदेव प्रतिष्ठा मुहुर्त को मेरे द्वारा श्री राधा माधव भगवान की असीम कृपा से सम्पन्न हुआ। वसुप्रधा फाउन्डेशन ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी एवं मुख्य यजमान के रूप में अपनी धर्मपत्नी नीतू श्रीवास्तव सहित मेरे द्वारा गुरुजी श्री लोकेन्द्र चतुर्वेदी के दिशा निर्देशन में प्राण प्रतिष्ठा का पावन यज्ञ सम्पन्न हुआ।