श्री लक्ष्मीनारायण पीपल
मंदिर प्रांगण में गर्भगृह से अग्निकोण दिशा में श्री लक्ष्मी नारायण विशालकाय दिव्य पुरातन पीपल वृक्ष प्रतिष्ठित है। शास्त्रानुसार पीपल के पेड़ की जड़ में विष्णु जी, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि का रूप और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। इसका वर्णन स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने श्री गीताजी में किया है। यह पीपल सेर्वित एवं पूजित होने पर मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। शास्त्रानुसार पीपल की पूजा एवं जलदान करने से पितरो की तृप्ति होती है। इसकी जड़ों में समस्त तीर्थों का निवास होता है। पुराणानुमार पीपल की पूजा प्रत्येक शनिवार को करने से एवं शनिवार को स्पर्श करने से शति ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने से प्रत्येक मनोकाननापूर्ण होती है। पीपल वृक्ष की पूजा करने से पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। पीपल वृष्ठ भगवान श्रीकृष्ण का जीक्त प्रत्यक्ष वृक्षरूप माना जाता है। श्री लक्ष्मी नारायण पीपल की प्रत्येक शनिवार को पूजा प्रतिष्ठा एवं तिल के तेल का दीपदान करने से शीघ्र की यह निरोगता, आयु लक्ष्मी, सन्तान एवं संकट का नाश कर सुख शांति प्रदान करते हैं एवं एक वर्ष तक प्रति शतिवार को तिल के तेल का दीपदान सायंकाल करने से एवं सात परिक्रमा अथवा एक सौ आठ परिक्रमा करने पर मनोकामना पूर्ण होती है।